Monday, January 19, 2009

धम्मपद- भाग १- यमकवग्गो ( The Dhammapada- Chapter One -- The Pairs )

                                  भाग-१. यमकवग्गो

१.

मनोपुब्बङ्गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया।

मनसा चे पदुट्ठेन, भासति वा करोति वा।

ततो नं दुक्खमन्वेति, चक्‍कंव वहतो पदं॥

मन सभी प्रवॄतियों का अगुआ है , मन ही प्रधान है , सभी धर्म मनोनय हैं । जब कोई व्यक्ति अपने मन को मैला करके कोई वाणी बोलता है , अथवा शरीर से कोई कर्म करता है तो दु:ख उसके पीछे ऐसे हो लेता है , जैसे गाडी के चक्के बैल के पीछे हो लेते हैं ।

Mind precedes all mental states. Mind is their chief; they are all mind-wrought. If with an impure mind one speaks or acts, suffering follows one like the wheel that follows the foot of the ox.

२.

मनोपुब्बङ्गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया।

मनसा चे पसन्‍नेन, भासति वा करोति वा।

ततो नं सुखमन्वेति, छायाव अनपायिनी [अनुपायिनी (क॰)]॥

 मन सभी प्रवॄतियों का अगुआ है , मन ही प्रधान है , सभी धर्म मनोनय हैं । जब कोई व्यक्ति अपने मन को उजला रख कर कोई वाणी बोलता है , अथवा शरीर से कोई ऐसा कर्म करता है तब सुख उसके पीछॆ ऐसे हो लेता है जैसे कभी संग न छॊडने वाली छाया संग-२ चलने लगती है ।

Mind precedes all mental states. Mind is their chief; they are all mind wrought. If with a pure mind one speaks or acts, happiness follows one like one's never-departing shadow.

 

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