Friday, June 15, 2012

बुद्ध वाणी–दण्डवग्गो

All Beings, "Gentle Quotes & Sayings" - May 07, 2012

साभार : Kithshaa

सब्बे तसन्ति दण्डस्स, सब्बे भायन्ति मच्‍चुनो।

अत्तानं उपमं कत्वा, न हनेय्य न घातये॥

सभी दंड से डरते हैं । सभी को मृत्यु से डर लगता है । अत: सभी को अपने जैसा समझ कर न किसी की हत्या करे , न हत्या करने के लिये प्रेरित करे ।

सब्बे तसन्ति दण्डस्स, सब्बेसं जीवितं पियं।

अत्तानं उपमं कत्वा, न हनेय्य न घातये॥

सभी दंड से डरते हैं । सभी को मृत्यु से डर लगता है । अत: सभी को अपने जैसा समझ कर न तो किसी की हत्या करे या हत्या करने के लिये प्रेरित करे ।

सुखकामानि भूतानि, यो दण्डेन विहिंसति।

अत्तनो सुखमेसानो, पेच्‍च सो न लभते सुखं॥

जो सुख चाहने वाले प्राणियों को अपने सुख की चाह से , दंड से विहिंसित करता है ( कष्ट पहुँचाता है ) वह मर कर सुख नही पाता है ।

सुखकामानि भूतानि, यो दण्डेन न हिंसति।

अत्तनो सुखमेसानो, पेच्‍च सो लभते सुखं॥

जो सुख चाहने वाले प्राणियों को अपने सुख की चाह से , दंड से विहिंसित नही करता है ( कष्ट नही पहुँचाता है ) वह मर कर सुख  पाता है ।

धम्मपद “दण्ड्वग्गो

Thursday, June 14, 2012

अष्टांगिक मार्ग - The eightfold path

the eight fold path

अष्टांगिक मार्ग ( The eightfold path )

१. सम्यक दृष्टि ( अन्धविशवास तथा भ्रम से रहित )  ।

२. सम्यक संकल्प (उच्च तथा बुद्दियुक्त )  ।

३. सम्यक वचन ( नम्र , उन्मुक्त , सत्यनिष्ठ )  ।

४. सम्यक कर्मान्त ( शानितपूर्ण , निष्ठापूर्ण ,पवित्र )  ।

५. सम्यक आजीव ( किसी भी प्राणी को आघात या हानि न पहुँचाना )  ।

६. सम्यक व्यायाम ( आत्म-प्रशिक्षण एवं आत्मनिग्रह हेतु )  ।

७. सम्यक स्मृति ( सक्रिय सचेत मन )  ।

८. सम्यक समाधि ( जीवन की यथार्थता पर गहन ध्यान ) ।

Monday, June 4, 2012

काष्ठ खंड- सागर तक सीधी यात्रा

काष्ठ खंड

अलवी गांव से आगे बढते हुये बुद्ध गंगा के किनारे उत्तर पशिचम में कौशम्बी की ओर चल पडे । वह रास्ते मे थोडी देर तक रुककर धारा मे बहते हुये काष्ठ खंडॊ को देखने लगे । उन्होनें अन्य भिक्खुओं को बुला कर काष्ठ खंडॊं को दिखाते हुये कहा , “ भिक्खुओं यदि यह काष्ठ खंड कहीं किनारे पर रुक न जायें , कही रेत में धंस न जायें , या वे भीतर से  सड न जायें , यदि इन्हें बीच में से उठा न लिया जाये या वे किसी भंवर में न फ़ंसे तो ये बहते हुये सीधे समुद्र तक चले जायेगें । यही बात आपके लिये धर्म पथ पर भी लागू होती है । यदि तुम कही रेत में फ़ंसों , यदि उम उठा न लिये जाओ, यदि तुम डूबो नही , यदि तुम रेत मे न फ़ंसों , यदि तुम उठा न लिये जाओ , यदि तुम भंवर में न फ़ंसो , या तुम ही भीतर से सडने न लग जाओ तो तुम भी आत्म जागृति और मुक्ति के सागर तक पहुंच सकते हो ।

भिक्खुओ ने कहा , “ गुरुदेव , कृपया अपने कथन को पूर्णतया स्पष्ट करने का अनुग्रह करे । किनारे रुक जाने , डूब जाने , या रेत में धंस जाने से आपका तात्पर्य क्या है  ? ”

बुद्ध ने उत्त्तर देते हुये कहा , “ नदी के किनारे रुक जाने का अर्थ है – छ: इंद्रियों और उनके विषयों में फ़ंस जाना ।

डूब जाने का अर्थ इच्छा – आकांक्षाओं का दास हो जाना है जिससे आपकी साधना की क्षमता का क्षरण हो जाता है ।

रेत मे फ़ंस  जाने का अर्थ है स्वार्थी हो जाना , सदैव अपनी ही इच्छाओं , अपने ही लाभ  की और अपनी प्रतिष्ठा की बात सोचना और आत्म जागृति  के लक्ष्य को भूल जाना ।

जल से निकल लिये जाने का अर्थ  है – साधना अभ्यास के स्थान पर स्वंय को निरुदेशय बना लेना और घटिया लोगों की संगति में घूमते फ़िरते रहना ।

भंवर मे फ़ंसे रहने का अर्थ है – पांच प्रकार की इच्छाओं –सुस्वादु भोजन , विषय वासना , वित्तेषणा , यशेषणा , और निद्रा में फ़ंसे रहना ।

भीतर से सडने का अर्थ है – दिखावे के सदगुणॊं वाला जीवन जीना , संघ को धोखा देना और धर्म को अपनी इछ्छाओं और आंकाक्षाओं की पूर्ति के लिये प्रयोग करना ।”

“ भिक्खुओं यदि आप लोग परिश्रमपूर्वक साधना करो तो इन छ: भ्रमजालों मे न फ़ंसो तो निशिचित ही संबोधि( निर्वाण शांतम ) का फ़ल प्राप्त कर सकते हो ; ठीक उसी प्रकार जिस तरह बहता काष्ठ खंड सभी बाधाओं से बचता हुआ समुद्र तक पंहुच जाता है । ”

स्त्रोत : संयुक्त निकाय –ति न्यात हन्ह द्वारा लिखित “जंह जंह चरन परे गौतम के ”

बुद्ध वाणी– 4-6-2012

बुद्ध वाणी

Sunday, June 3, 2012

बौद्ध परिपथ की राह दिखाएगा ‘द पाथ’

the path -buddhist circuit

बोधिवृक्ष

उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विभाग बौद्ध परिपथ के जरिए उड़ान भरने की तैयारी में है। थाइलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, जापान, चीन, बर्मा जैसे देशों में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायियों को प्रदेश में फैली बौद्ध विरासत की तरफ आकृष्ट करने के लिए विभाग ने इन देशों के दूतावासों से सीधे तार जोड़े हैं। इन देशों में मिली जबर्दस्त प्रतिक्रिया से पर्यटन विभाग के हौसले बुलंद हैं। माना जा रहा है कि पर्यटन विभाग की यह कोशिश प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी। इस कोशिश में विभाग ने कपिलवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, संकीसा, कौशांबी व कुशीनगर में फैले बौद्ध स्थलों को द पाथ नामक खूबसूरत ब्रोशर में समेटा है। कहते हैं कि कपिलवस्तु, जहां गौतम बुद्ध का बचपन गुजरा। 40 वर्ष से अधिक समय बुद्ध ने गंगा के मैदानी इलाकों की यात्रा की। पर्यटन विभाग में ओएसडी भारती सिंह बताती हैं कि बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों की जानकारी एक ही ब्रोशर में पर्यटकों को मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि थाइलैंड, कंबोडिया, जापान, चीन, बर्मा सभी देशों के दूतावासों ने इस प्रयास की सराहना की है। यही नहीं थाईलैंड दूतावास ने अपनी वेबसाइट में उत्तर प्रदेश पर्यटन का लिंक देने का वादा किया है, जिससे थाईलैंड की वेबसाइट एक्सेस करने वालों को बौद्ध परिपथ की जानकारी मिल सकेगी। पर्यटन विभाग वेबसाइट पर ई-ब्रोशर देगा।

साभार : ई जागरण